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महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी

Writer: Dr. INDIRA MISHRADr. INDIRA MISHRA


Young woman works from home



दे बदल रहा है महिलाओं कि दरा में सुधार आ रहा है , समय के साथ साथ नारी भाक्ति और सक्ति होती जा रही है परिवर्तन प्रकृति का नियम है ये बात तो सत्य है ,किन्तु परिवर्तन का क्या परिणाम हुआ है और आगे क्या होगा और उस परिर्वतन को आने वाली पिढी को किस प्रकार स्वीकार करती है और इससे क्या सीख लेती है ये बात अधिक महत्व रखती है ।.”

देखा जाए तो हर युग में प्रतिभाशाली महिलाए रही है और हर युग में उन्होंने अपनी प्रतिभा से समाज मे उदाहरण प्रस्तुत किया है जैसे- सीता, सावित्री, द्वौपदी, गार्गी आदि पौराणिक देवियों से लेकर रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मी बायीं, अहिल्या । बाई होल्कर, रानी चेनम्मा, रानी पदिमिनी, हाणी रानी आदि महान रानियों से लेकर इंदिरा गाँधी और किरण बेदी से लेकर सानिया मिर्जा आदि आधुनिक भारत की महिलाओं ने भारत को विव भर मे गौरवान्ति किया औंर महिलाओं ने धरती पर ही नही अपितु अन्तरिक्ष में भी अपना परिचम लहराया है इसमे सुनिता विलियम्स औंर कल्पना चावला प्रमुख है। यह सही है कि हर युग में महिलाओं ने अपनी योग्यता का परचम लहराया है,लेकिन फिर भी यह देखने को मिलता है कि हर युग मे उन्हें भेदभाव और उपेक्षा का भी सामना करना पड़ा है। महिलाओं के प्रति भेदभाव और उपेक्षा को केवल साक्षरता । और जागरुकता पैदा कर ही खत्म किया जा सकता है। महिलाओं का विकास दे। का विकास है। महिलाओं की साक्षरता, उनकी जागरुकता और उनकी उनकी उन्नति ना केवल उनकी गृहस्थी के विकास में सहायक साबित होती है बल्कि उनकी जागरुकता एवं साक्षरता दे” के विकास में भी अहम भूमिका निभाती है । इसलिए सरकार द्वारा आज के युग में महिलाओं की शिक्षा और उनके विकास पर बल दिया जा रहा है। गाँव और भाहर में frक्षा के प्रचार प्रसार के व्यापक प्रयास किये जा रहे है। महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना और अन्याय के प्रति आवाज उठाने की हिम्मत प्रदान ही असल में नारी सक्तिकरण है।

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